रंगों से भरी एक अनोखी होली

होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, भाईचारे और खुशियों का उत्सव है। यह एक ऐसा पर्व है, जो न सिर्फ हमारे जीवन में रंग भरता है, बल्कि आपसी प्रेम और सद्भावना को भी मजबूत करता है। हर साल होली आते ही हर किसी के मन में उमंग और उत्साह जाग उठता है। लेकिन क्या हो, अगर होली सिर्फ रंगों तक सीमित न रहकर किसी के जीवन में खुशियों के नए रंग भी भर दे?

रंगों से भरी एक अनोखी होली

गाँव रंगपुर में हर साल होली बड़े धूमधाम से मनाई जाती थी। ढोल-नगाड़ों की धुन पर लोग नाचते, अबीर-गुलाल उड़ाते, और मिठाइयों का स्वाद चखते। लेकिन इस बार की होली कुछ अलग थी।\

रंगपुर के एक छोटे से घर में रहनी वाली छोटी गुड़िया को होली बहुत पसंद थी। लेकिन उसके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए वह रंग और पिचकारी नहीं खरीद सकती थी। उसे देखकर गाँव के बाकी बच्चे भी मायूस हो जाते थे, क्योंकि सबको पता था कि बिना गुड़िया के उनकी होली अधूरी थी।

एक दिन गाँव के बुजुर्ग रामलाल काका ने सब बच्चों को बुलाया और कहा, "इस बार हम होली कुछ खास तरीके से मनाएँगे।" सभी बच्चे हैरान थे, लेकिन उन्होंने काका की बात मान ली।

होली के दिन, जब सब लोग रंगों से खेल रहे थे, तभी गाँव के सारे बच्चे गुड़िया के घर पहुँचे। उनके हाथों में फूलों की पंखुड़ियाँ, हल्दी, चंदन और मिट्टी के छोटे-छोटे रंगीन घोल थे। उन्होंने गुड़िया को रंगों से सराबोर कर दिया और उसे गले से लगा लिया।

गुड़िया की आँखों में खुशी के आँसू थे। वह बोली, "आज मैंने अपनी सबसे सुंदर होली खेली है!"

इस तरह, रंगपुर में उस साल होली सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि प्यार और अपनापन का त्योहार बन गई।

"होली सिर्फ रंगों का नहीं, दिलों को जोड़ने का त्योहार है!"


Written by: रत्नाकर
Published at: Wed, Mar 12, 2025 8:21 PM
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