कॉलेज का शर्त
शर्त को स्वीकारने और शर्त को पूरा करने के लिए एक छात्र द्वारा किया गया हास्यपद प्रयास।

रोज की भाती कॉलेज में हम और हमारे सहपाठी पढ़ाई के साथ साथ काफी एंजॉय करते थे , वो दौर आज भी याद करते है तो सारी घटनाए सामने आ जाती है और मन पुनः उसी समय के हिसाब से सोचकर प्रफुल्लितहो जाता है । तो आज इस लेख में मैं उन्ही दिनों की एक हास्यपद घटना का जिक्र इस लेख के माध्यम से कर रहा हु ।
बात सन 2009 की है दिसंबर का महीना था उस समय कॉलेज जाने से पहले मैं सुबह के समय में एकेडमीक कोचिंग में गणित पढ़ने के लिए जाता था , रोज की भांति सभी सहपाठी मित्र लोग कोचिंग में आते हँसी मजाक करते क्लास करते थे । उस समय सर हम लोगो को गणित पढ़ाते थे वो बहुत हंसमुख स्वभाव के साथ साथ हमलोगो को गणित की अच्छी शिक्षा देते थे । एक दिन की बात है बातो ही बातो में सहपाठी मित्र अपनी क्षमताओं का बखान करने लगे और अपनी किए गए साहसिक कार्यों का जिक्र कर रहे थे । उन्ही मित्रमंडली में एक मित्र था खुद को सबसे श्रेष्ठ समझने में महारत हासिल था , कभी भी अगर कोई बात होता तो वो खुद को सबसे श्रेष्ठ बताने में कभी पीछे नहीं रहता था ।
इन्हीं सब को देखते हुए एक दिन शर्त शब्द अध्ययन के दौरान आ गया क्यों की गणित में शर्त शब्द अक्सर आते रहते है अंग्रेजी में condition, सर पढ़ाते पढ़ाते एक सवाल दिए और उसको हल करने वाले को चार समोसा देने का एलान किया की जो इस सवाल को हल कर देगा उसको इनाम स्वरूप चार समोसा मिलेगा , तो उसमे से एक मित्र ने शर्त के अनुसार जीत का भागीदार बना । ये बात उसको नगवारा गुजरा़ उसने बोला की सर ये चार समोसा क्या खायेगा हम तो शर्त जीत कर दो किलोग्राम जलेबी अकेले खा चुके है , अचानक से सभी मित्र और सर ने उसकी तरफ देखा और बोला की 2 किलोग्राम जलेबी खाए हो ? फिर बोला की हा सर मैने 2 किलोग्राम जलेबी खाया है। असल में वह शर्त लगाने में माहिर था अकसर वो शर्त लगाता रहता था कभी क्रिकेट में ,तो कभी चेस में तो वही शर्त का आदत आज एक और शर्त को भरे कोचिंग में चैलेंज करने वाला था । बात हुई दो किलोग्राम की तो सभी लोगो ने बोला क्यों न सर उसको शर्त दिया जाय , फिर सर बोले की अगर तुम 2 किलोग्राम जलेबी खा सकते हो तो चीनी कितना खा लोगे, इतने पर बोला मैं चीनी 1 किलो ग्राम खा सकता हु , फिर सर बोले अगर तुम चीनी खा लिए तो मैं तुम्हे एक हजार रुपए दूंगा और अगर नही खा पाए तो मुझे तुम एक हजार रुपए दोगे ,शर्त मंजूर है । उसने बोला हा सर ये शर्त मेरे लिए बहुत छोटामोटा शर्त है मैं खा लूंगा । उस शर्त अनुसार कोचिंग में एक किलोग्राम चीनी आया जिसको दिया गया और उसने चीनी खाना शुरु किया 100 ग्राम चीनी खाते खाते उसके उम्मीदों में कुछ संदेह भरा दृश्य प्रकट हुआ मानो मनमानी में लिया फैसला भारी पड़ने वाला है, उस समय कोचिंग में क्लास की लड़किया उसके महानता का वीडियो भी बनाती नजर आ रही थी , पर ये क्या उसका मुख चीनी के क्रिस्टल को ज्यादे संभाल न सका और 100 ग्राम के बाद ही जबड़ा असमर्थ हो गया , सर को ये देख कर अंदाजा हो गया था की 1 किलोग्राम चीनी के बदले हजार रुपए का शर्त बहुत भारी पड़ जाएगा ,और उसके सामने से चीनी हटा दिया गया । इसके बाद कोचिंग का टाइम बिता और हमलोग कॉलेज चले गए , शर्त का खेल समाप्त हुआ और हर दिन की भाती सुबह कोचिंग आते और कॉलेज जाते , पर मगर ये क्या कोचिंग में सभी लोग तो आ रहे थे पर वह नही आ रहा था हफ्तों बीत गया था लेकिन उसका पता नही , ठंड भी खूब पड़ रहा था उस समय , तो यही सब देखते हुए मैं उसके घर पहुंचा और गेट खट खटाया कुछ टाइम बाद वह आया और गेट खोलते ही सीधे गेट पकड़कर आगे की तरफ गिर पड़ा और कांप रहा था , तो मैंने घर में आवाज दिया अचानक उसके बड़े भाई आए और हम उनके साथ मिलकर उसको रूम में चौकी पर जाकर लिटाए , उसकी लंबाई करीब 6 फिट 2 इंच थी अब हाइट के हिसाब से ओढ़ाते भी तो क्या आधे ऊपर ढकते तो नीचे का शरीर लगातार हिलता रहता और नीचे ढकते तो ऊपर खुल जाता क्या विडंबना थी ,किसी तरीके से दो तीन ब्लैंकेट के सहायता से ठंडी में कुछ राहत उसको प्राप्त हुआ , ठंड लग जाने के साथ वह कॉलेज में कुछ दिनों अनुपस्थित रहा । जब स्वास्थ्य में सुधार हुआ और कुछ मौसम में भी सुधार हुआ तो वो कोचिंग आया , फिर सर ने पूछा जलेबी खाओगे तो उसने हार न स्वीकारते हुए चीनी को दोष देते हुए असमर्थता व्यक्त किया की चीनी का क्रिस्टल बॉडी में शुगर लेवल को बढ़ा देने से मुझे ठंड लग गई थी इसलिए मैं चीनी नहीं खाया अगर जलेबी 2 kg होता तो खा जाते ये सुनकर सभी मित्रगण और सर हंसने लगे , क्लास खत्म हुआ और हम लोग कॉलेज को चल दिए।
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें अपने फैसलों के परिणामों का सामना करना पड़ सकता है और हमे अपने शब्दों को ध्यान से चुनना चाहिए।