अंधी सरकार
रो रही है पूरी नारीशक्ति रो रही ये अपनि वशुधा बचा नहीं है मानवता अबतो आजाओ कृष्णसुधा।।

दंभ भरते रहे पांडव कल भी.. और आज भी
चीर हरण होता रहा.... इस अंधी सरकार की
तब वो कौरव थे जो हरते आज ये पाण्डव कांड है
रोक सको तो रोको मानुष यह ही जंगल राज है।।
कही निर्भया कही असिफ़ा कही लूटी जाती लज़्ज़ा
इस सामाजिक हाहाकार को कैसे रोके अपने कृष्णा।।
तब वो दुश्शसान था जिसने. शर्मशार किया मानवता
आज के ये भीम और अर्जुन दौपद्री की कर रहे दुर्दशा।।
उस सभा के भीष्म पितामह आज भी असहाय है
कैसे कोई रोके.. हरण को. क्या कोई भगवान है???।।
सबने बोला जननी है फ़िर क्यों रोती है अपनी धरा
पूछा मैंने इस धृतराष्ट्र से जोअब भी बैठा है अँधा।।
गुरुवर भी अभी मौन है कब तोड़ेगे अपनी सधा
क्या ऐसे ही होता रहेगा किससे कहे वो अपनी व्यथा।।
रो रही है पूरी नारीशक्ति रो रही ये अपनि वशुधा
बचा नहीं है मानवता अबतो आजाओ कृष्णसुधा।।
#satyendra tiwari