ख्वाब
ख्वाब जो किसी के पाने की चाहत हो।

ख़्वाब।।
मन के इस कौतूहल में,
हर रोज तुम दस्तक देती हो,
मुझ में ही तुम रहती हो ,
और मुझ में ही तुम होती हो,
कस्तूरी सी खुशबू लेकर,
मुझे बाहों में भर लेती हो,
क्या सचमुच में तुम होती हो ?
अफसाने मेरे गाती हो,
और थोड़ा सा शर्माती हो,
जब सबको मुझे बताती हो ,
कलियों सी मुस्काती हो,
एक ऐसा समा बनाती हो,
जैसे खुद में मैं हो जाती हो ,
जब तुम मुझे बताती हो,
क्या सच में, इतना प्यार तुम मुझसे करती हो ?
और करती हो तो, जताया करो ,
कानों में फुसफुसाया करो,
तुम कभी तो मिलने भी आया करो।
बातें तुम्हारी मैं करता हूं,
बातें तुम ही से मैं करता हूं,
और तुमसे पूछा करता हूं ,
कि ईश्वर किसी को इतना खूबसूरत कैसे बना सकता है,
जितनी तुम हो !
इतनी नजाकत कैसे दे सकता है,
जितना तुम में है !
क्या सच में तुम हकीकत हो ?
या हो बस मेरे ख्वाबों में,
हकीकत में होती तो डर भी तो होता,
तुमसे बिछड़ने का गर भी तो होता,
नींदों में भला फिर मैं कहां सोता,
सोने में खोने का डर भी तो होता !
क्या सच में वो लम्हे हकीकत थे ?
वो पायल जो मैंने पहनाया था, वो झुमका जो मैंने पहनाया था,
वो मंदिर जहां हम बैठे थे,
वो लहरें जहां हम बैठे थे ,
वो हल्वा जो तुमने खिलाया था ,
थोड़ा प्यार जो तुमने जताया था,
हां वो हकीकत ही था शायद,
इसलिए अब नहीं है,
क्या सच में मैं होश में हूं ?
क्योंकि होता तो यह सब हुआ ना होता,
तेरी आंखों से दरिया हुआ ना होता,
मेरी आंखों से तेरा दामन गिला ना होता,
फिर हम दोनों में फासला ना होता,
गर ख्वाबों में तू मिला न होता।
.....K रूद्रम