दुर्गा सप्तशती पाठ (संक्षिप्त)
दुर्गा सप्तशती, जिसे चंडी पाठ भी कहा जाता है, मार्कंडेय पुराण का एक अत्यंत शक्तिशाली ग्रंथ है। इसमें माँ दुर्गा की महिमा, उनके विभिन्न रूपों की कथा और असुरों के संहार का वर्णन है।

📜 दुर्गा सप्तशती – परिचय
दुर्गा सप्तशती को चंडी पाठ भी कहा जाता है और यह मार्कण्डेय पुराण से लिया गया है। इसमें 700 श्लोक हैं, जिनमें माँ दुर्गा की स्तुति, कथा और उनकी महिमा का वर्णन है। यह तीन खंडों में विभाजित है:
प्रथम चरित्र (मधु-कैटभ वध) – अध्याय 1
मध्यम चरित्र (महिषासुर वध) – अध्याय 2 से 4
उत्तर चरित्र (शुम्भ-निशुम्भ वध) – अध्याय 5 से 13
📜 दुर्गा सप्तशती संपूर्ण अध्याय विवरण
📖 प्रथम चरित्र – अध्याय 1 (मधु-कैटभ वध)
🔹 कथा:
राजा सुरथ, जो अपने राज्य से निष्कासित कर दिया गया था, एक वन में महर्षि मेधा से मिलते हैं। वहाँ वे एक वैश्य (समाधि) से मिलते हैं, जो व्यापार में धोखा खाकर भटक रहा था। दोनों महर्षि से पूछते हैं कि संसार में इतना मोह क्यों है?
महर्षि उन्हें बताते हैं कि यह माया के कारण है, जो माँ दुर्गा की शक्ति है।
🔹 मधु-कैटभ वध:
ब्रह्मा सृष्टि की रचना कर रहे थे, तब मधु और कैटभ नामक दो दैत्य प्रकट हुए। उन्होंने ब्रह्मा पर हमला किया। ब्रह्मा ने योगनिद्रा (महालक्ष्मी) की स्तुति की, जिससे भगवान विष्णु जाग गए और उन्होंने माँ दुर्गा की कृपा से मधु-कैटभ का वध कर दिया।
✍🏻 मुख्य श्लोक:
"या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
📖 मध्यम चरित्र – अध्याय 2 से 4 (महिषासुर वध)
🛕 अध्याय 2 – देवी का प्राकट्य
🔹 कथा:
महिषासुर, जो एक महाबली असुर था, उसने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया और देवताओं को निकाल दिया। देवता विष्णु और शिव के पास सहायता के लिए गए।
तब सभी देवताओं के तेज से माँ दुर्गा प्रकट हुईं। उन्हें शस्त्र और आशीर्वाद दिए गए, और उन्होंने युद्ध के लिए प्रस्थान किया।
✍🏻 मुख्य श्लोक:
"नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥"
⚔ अध्याय 3 – महिषासुर का वध
🔹 कथा:
महिषासुर और माँ दुर्गा के बीच भयंकर युद्ध हुआ। वह बार-बार रूप बदलकर देवी को भ्रमित करने का प्रयास करता रहा, लेकिन अंततः माँ दुर्गा ने त्रिशूल से उसका संहार कर दिया।
✍🏻 मुख्य श्लोक:
"या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
🙏🏻 अध्याय 4 – देवी स्तुति एवं वरदान
🔹 कथा:
देवता माँ दुर्गा की स्तुति करते हैं। माँ कहती हैं कि जब-जब अधर्म बढ़ेगा, तब वे अवतार लेंगी और धर्म की रक्षा करेंगी।
✍🏻 मुख्य श्लोक:
"सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते॥"
📖 उत्तर चरित्र – अध्याय 5 से 13 (शुंभ-निशुंभ वध)
⚔ अध्याय 5 – शुंभ-निशुंभ का अत्याचार
🔹 कथा:
शुंभ-निशुंभ असुरों के नए राजा बने और तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया। देवता माँ दुर्गा से प्रार्थना करते हैं।
✍🏻 मुख्य श्लोक:
"या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
⚔ अध्याय 6 – चंड-मुंड वध
🔹 कथा:
शुंभ-निशुंभ के सेनापति चंड और मुंड माँ दुर्गा पर हमला करते हैं। तब माँ काली रूप धारण कर उनका वध कर देती हैं।
✍🏻 मुख्य श्लोक:
"जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥"
⚔ अध्याय 7 – रक्तबीज संहार
🔹 कथा:
रक्तबीज नामक असुर को वरदान था कि उसकी रक्त की प्रत्येक बूंद से एक नया असुर जन्म लेगा। तब माँ काली उसके रक्त को पीकर उसका वध कर देती हैं।
✍🏻 मुख्य श्लोक:
"काली काली महाकाली कालिके परमेश्वरी।
सर्वानंदकरी देवी नारायणि नमोऽस्तु ते॥"
⚔ अध्याय 8 – निशुंभ वध
🔹 कथा:
निशुंभ माँ दुर्गा से युद्ध करता है, लेकिन माँ उसे अपने खड्ग से नष्ट कर देती हैं।
✍🏻 मुख्य श्लोक:
"इन्द्राणी लक्ष्मी सरस्वती च
कौमारी चांड्री शिवारूपिणी च॥"
⚔ अध्याय 9 – शुंभ वध
🔹 कथा:
शुंभ माँ दुर्गा को चुनौती देता है, तब माँ कहती हैं, "मैं अकेली नहीं, यह सब मेरी शक्ति के रूप हैं।" अंत में माँ दुर्गा उसे त्रिशूल से नष्ट कर देती हैं।
✍🏻 मुख्य श्लोक:
"या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
🙏🏻 अध्याय 10 – देवी स्तुति और आभार
🔹 कथा:
देवता माँ दुर्गा का धन्यवाद करते हैं और वे कहती हैं कि जो भी सप्तशती का पाठ करेगा, उसे उनकी कृपा प्राप्त होगी।
✍🏻 मुख्य श्लोक:
"सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवी दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥"
✨ अध्याय 11-13 – देवी का आशीर्वाद
🔹 कथा:
माँ दुर्गा कहती हैं कि वे समय-समय पर अवतरित होकर भक्तों की रक्षा करेंगी। राजा सुरथ और वैश्य समाधि भी उनकी भक्ति करके वरदान प्राप्त करते हैं।
✍🏻 मुख्य श्लोक:
"त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या।
विष्णोश्च हृदयं परं पादमद्भुतम्॥"
विशेष नियम एवं सावधानियाँ
✅ ब्रह्मचर्य और शुद्ध आहार का पालन करें।
✅ सात्विक भोजन करें, प्याज-लहसुन और तामसिक भोजन न करें।
✅ पाठ के दौरान पूर्ण श्रद्धा और भक्ति रखें।
✅ एक ही समय, स्थान और विधि से पाठ करें।
✅ सप्तशती के कुछ श्लोक बीज मंत्र होते हैं, इन्हें उच्चारण में सावधानी रखें।