"ए बारिश"

खिड़कियां झांकती है बारिश को बारिश रुकती ही नहीं

"ए बारिश"

"ए बारिश"

खिड़कियां झांकती है बारिश को

बारिश रुकती ही नहीं ,

थोड़ा ठहरो ,  कुछ लिखो 

अपनी बूंदों से कहो सरगम कहें

धार से कहो वीणा झंकृत करें

नीरस से जीवन में  संगीत कहो

थोड़ा ठहरो , कुछ लिखो।

पीपल के पत्तों को छूकर

मेरे नयनों के नगीनों पर उतरो

ठंढक दो पुतलियों को और 

कानों के पास खनक जाओ

कुछ लिखो,कुछ लिखने दो

आओ रुको और बरस जाओ

जीवन में रंग भरो ।।

ए बारिश 

सावन को हरा करो 

ऐ बारिश ‌‌।

#सत्येन्द्र तिवारी


Written by: अध्ययन क्लब
Published at: Mon, Mar 17, 2025 12:32 PM
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